डोपिंग (Doping) क्या है और सोलर सेल बनाने में यह कैसे काम करता है ?

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डोपिंग (Doping)

खेल जगत से सम्बंधित समाचार में अक्सर सुना जाने वाला एक शब्द है “डोपिंग (Doping)”। आखिर डोपिंग क्या है, क्या इसका सम्बन्ध सिर्फ खेल जगत तक हीं सिमित है या आधुनिक दुनिया में ये शब्द किसी टेक्नोलॉजी के लिए भी प्रयोग में किया जाता है, आखिर ये डोपिंग सोलर सेल से बिजली उत्पन्न करने में हमारी कैसे मदद करता है ?

डोपिंग (Doping) क्या है ?

किसी भी शुद्ध वास्तु या पार्टिकल में जब कुछ अशुद्धता मिलाई जाती है जिससे उसकी कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है, इस मिलावट की प्रक्रिया को डोपिंग (Doping) कहते है। इससे एक बात तो स्पस्ट है की डोपिंग एक प्रक्रिया को कहते है जिसके अंतर्गत किसी भी पार्टिकल, मटेरियल या किसी भी प्रकार के वास्तु में किसी दूसरे पार्टिकल को मिक्स या इंजेक्ट किया जाता है जिससे उसकी कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है उस प्रक्रिया को डोप्पिंग कहते है।

अर्थात एक शुद्ध सेमि कंडक्टर (Semi conductor) में उसके विद्युत गुणों को बढ़ने के उद्देश्य से जब उसमे कोई अन्य पदार्थ को जोड़ा या इंजेक्ट किया जाता है तो इस प्रक्रिया को डोपिंग कहते हैं।

सोलर सेल बनाने में डोपिंग (Doping) का क्या महत्व है ?

जैसा की हम सब जानते है सोलर मॉडल में जो सोलर सेल लगा होता है वह सिलिकॉन (Silicon) से बना होता है। सिलिकॉन एक शुद्ध और सेमी कंडक्टर पार्टिकल है, इसके बहरी कच्छा में 4 इलेक्ट्रान होते है।

सेमि कंडक्टर पार्टिकल होने के कारण यह परिस्थिति के अनुसार अपनी गुणवत्ता बदलती रहती है।अर्थात कुछ परिस्थिति में यह अपने से इलेक्ट्रान को पास करने देती है और कुछ परिस्थिति में नहीं करने देती है।

हम सब ये अच्छे से जानते हैं की सिलिकॉन के बहरी कच्छा में 4 इलेक्ट्रान होते है। अब यदि हम सिलिकॉन में किसी ऐसे तत्त्व को मिलाये जिसके बहरी कच्छा में 3 इलेक्ट्रान हो तो इसके फलस्वरूप यह अपने आस पास इलेक्ट्रान को अपनी तरफ आकर्षित करने लगता है, पर वही यदि हम इसमें किसी ऐसे तत्त्व को मिलाये जिसके बहरी कच्छा में 5 इलेक्ट्रान हो तो यह अपने आसपास ऐसे पार्टिकल को खोजने लगता है जिसमे इलेक्ट्रान की कमी हो।

सिलिकॉन के इसी गुणवत्ता के कारण हम इसका सोलर सेल बनाने में प्रयोग करते है। यदि हम सिलिकॉन में एल्युमीनियम को मिलते हैं अर्थात डोपिंग (Doping) करते हैं, तो एल्युमीनियम के बहरी कच्छा में 3 इलेक्ट्रान होने के कारण इसमें इलेक्ट्रान की कमी हो जाती है जिसके फलस्वरूप P टाइप सिलिकॉन का निर्माण होता है।

पर वही जब सिलिकॉन में फॉस्फोरस को मिलते हैं अर्थात डोपिंग (Doping) करते हैं, तो फॉस्फोरस के बहरी कच्छा में 5 इलेक्ट्रान होने के कारण यह नेगेटिव चार्ज (Negative Charge) हो जाता है, जिसके फलस्वरूप N Type सिलिकॉन का निर्माण होता है।

जब हम इन दोनों टाइप के सिलिकॉन को अर्थात P Type सिलिकॉन और N Type सिलिकॉन को पास रखते है तो दोनों आपस में जुड़ जाते हैं और एक डिप्लेक्शन जोन बनाते हैं जिसे PN जंक्शन कहते है।

डोपिंग (Doping)
PN Junction (Depletion Zone)

सोलर सेल काम कैसे करता है ?

जब हम सिलिकॉन में एल्युमीनियम और फॉस्फोरस को मिलते हैं तो इसके फलस्वरूप P Type (Positive Charge) सिलिकॉन और N Type (Negative Charge) सिलिकॉन बनता है, और जब हम दोनों सिलिकॉन को एक साथ रखते हैं या जोड़ते हैं तो हमारा सोलर सेल (Solar Cell) बनता है।

जब सूरज की किरण N Type सिलिकॉन पे पड़ती है तो यह गर्म हो जाता है और गर्म होने के कारण ये बहार निकलने का रास्ता ढूंढ़ने लगते है। अब जैसे हीं हम इन दोनों जंक्शन को आपस में वायर की मदद से जोड़ते हैं तो इलेक्ट्रान का प्रवाह N Type सिलिकॉन से P Type सिलिकॉन की ओर होने लगता है, और इसी इलेक्ट्रान के प्रवाह के कारण बिजली उत्पन्न होती है।

डोपिंग (Doping)
Depletion zone in solar cell

 

निष्कर्ष (Conclusion)

डोपिंग (Doping) एक प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत हम किसी भी पार्टिकल या ऑब्जेक्ट में किसी अन्य पार्टिकल को मिलते या इंजेक्ट करते है जिसके फलस्वरूप उसके कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है। हमारा सोलर सेल भी इसी प्रक्रिया के आधार पे बनाया जाता है, इस प्रक्रिया में सोलर सेल में एल्युमीनियम और फास्फोरस को इंजेक्ट किया जाता है। सिलिकॉन में  डोपिंग करने के उपरांत हमे P Type और N Type सिलिकॉन प्राप्त होता है।

और इन्ही दोनों सिलिकॉन को आपस में जोड़ने से सोलर सेल का निर्माण होता है।

 

FAQs:

 Question: डोपिंग क्या है ?

Answer: डोपिंग (Doping) एक प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत हम किसी भी पार्टिकल या ऑब्जेक्ट में किसी अन्य पार्टिकल को मिलते या इंजेक्ट करते है जिसके फलस्वरूप उसके कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है।

Question: सिलिकॉन में एल्युमीनियम मिक्स या इंजेक्ट करने से क्या होता है ?

Answer: सिलिकॉन में एल्युमीनियम इंजेक्ट करने के फलस्वरूप P Type सिलिकॉन का निर्माण होता है।

Question: सिलिकॉन में फॉस्फोरस मिक्स या इंजेक्ट करने से क्या होता है ?

Answer: सिलिकॉन में फॉस्फोरस इंजेक्ट करने के फलस्वरूप N Type सिलिकॉन का निर्माण होता है।

 

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