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क्या आर्टिफीसियल लाइट से सोलर पैनल बिजली उत्पन्न कर सकती है ?
हम सब ये तो जानते हीं है की सोलर पैनल सूरज की किरणों से बिजली उत्पन्न करती है, पर क्या आपने कभी ये सोचा है की अगर हम किसी भी सोलर पैनल पे बल्ब की रौशनी या आर्टिफीसियल लाइट डाले तो क्या उस रौशनी से सोलर पैनल बिजली उत्पन्न करेगी ?

इसका जबाब देने से पहले आपको कुछ तथ्यों के बारे में बताना चाहूंगा, आखिर सोलर पैनल बिजली उत्पन्न कैसे करती है ?
जैसा की हम आम बोलचाल की भाषा में बोलते हैं, जब सूरज की किरणे सोलर पैनल पर पड़ती है तो इसके फलस्वरूप सोलर पैनल बिजली उत्पन्न करती है। पर आज मैं आपको एक बात और बताना चाहूंगा की सोलर पैनल सोलर की किरणों से बिजली उत्पन्न तो करती है पर, सोलर पैनल की बिजली उत्पन्न करने की क्षमता उस रौशनी में मौजूद विकरण (Irradiation) पे निर्भर करती है।

अगर आप ऊपर के ग्राफ के देखे तो इससे साफ़ पता चल रहा है की सोलर पैनल का बिजली उत्पन्न करने की क्षमता सोलर रेडिएशन पे निर्भर करती है जैसे जैसे दिन के साथ सोलर रेडिएशन बढ़ती है, सोलर पैनल द्वारा बिजली उत्पन्न करने की क्षमता भी बढ़ती है।

इस ग्राफ के माध्यम से हमे ये पता चल रहा है की पुरे विश्व के कहाँ कहाँ सोलर रेडिएशन जयादा होती है, उसी के फलस्वरूप वहां सोलर पैनल द्वारा बिजली उत्पन्न करने की क्षमता भी जयादा होती है है। यही कारण है आज कल साउथ अफ्रीका और साउथ अमेरिका (Chile) में जयादातर कंपनी सोलर पावर प्लांट लगा रही है, क्यों की वहां सोलर रेडिएशन सबसे जयादा होती है।
सोलर रेडिएशन और आर्टिफीसियल लाइट स्पेक्ट्रम
जैसा की हम पहले बात कर चुके है सोलर पैनल का बिजली उत्पन्न करने के लिए सोलर रेडिएशन ऊर्जा का एक मुख्य श्रोत है। अब बात करे सोलर रेडिएशन का तो सोलर रेडिएशन स्पेक्ट्रम को पृथ्वी पर पहुंचने वाली एलेक्ट्रोमग्नेटिक वेव (Electromagnetic Waves) के अनुसार कई भागो में विभाजित किया जा सकता है।

ऊपर के ग्राफ में ये साफ़ साफ़ देखा जा सकता है की विज़िबल लाइट में सोलर रेडिएशन सबसे जयादा होती है और वेवलेंथ (Wavelength) काफी काम होती है, इसी के आधार पे जयादातर सोलर पैनल बनाने वाली कंपनी काम करती है। हलाकि कुछ सोलर पैनल जैसे की मोनोक्रिस्टलन (Monocrystalline) और पोलीक्रिस्टलीन (Polycrystalline) है जो की उच्च श्रेणी के वेवलेंथ पे भी काम करती है।
पर वही अगर हम आर्टिफीसियल लाइट की बात करे तो इसमें एक फिलामेंट होता है जिसे 1700 डिग्री सेल्सियस से 2700 डिग्री सेल्सियस तक गरम किया जाता है जिसके फलस्वरूप यह रौशनी उत्पन्न करती है। आमतौर पर इसकी रौशनी से निकलने वाली वेवलेंथ (Wavelength) 300 से 800 nm की रेंज में होती है।
जो की विज़िबल रौशनी की रेंज में है, अतः अगर हम ये कहे की क्या आर्टिफीसियल लाइट से बिजली उत्पन्न हो सकती है, तो इसका जबाब होगा हाँ आर्टिफीसियल लाइट से बिजली उत्पन्न हो सकती है। पर सोलर पैनल आर्टिफीसियल लाइट से जो बिजली उत्पन्न करेगी उसकी क्षमता बहुत काम होगी।
निष्कर्ष (Conclusion):
जैसा की हमने देखा की आर्टिफीसियल लाइट के वेवलेंथ (Wavelength) की रेंज 300 से 800 nm होती है, तो ये मानना सही है की आर्टिफीसियल लाइट के द्वारा सोलर पैनल से बिजली उत्पन्न हो सकती है, पर उसकी क्षमता बहुत काम होगी और ये काफी महंगा साबित होगा।
पर जैसे जैसे टेक्नोलॉजी बढ़ रही, हम ये उम्मीद कर सकते हैं की आने वाले समय में शायद हम ऐसे आर्टिफीसियल लाइट का आविष्कार कर सके जिसकी मदद से सोलर पैनल आर्टिफीसियल लाइट से लगभग उतनी हीं बिजली उत्पन्न कर पाए जितना सूरज की किरणों से करती है।
FAQs:
Question: क्या आर्टिफीसियल लाइट से सोलर पैनल बिजली उत्पन्न कर सकती है ?
Answer: हाँ आर्टिफीसियल लाइट से सोलर पैनल बिजली उत्पन्न कर सकती है, पर उसकी क्षमता काफी काम होगी।
Question: सोलर रेडिएशन और सोलर पैनल की बिजली उत्पादन करने की क्षमता में क्या सम्बन्ध है ?
Answer: सोलर रेडिएशन और सोलर पैनल की बिजली उत्पन्न करने में सीधा सम्बन्ध है, जैसे जैसे रेडिएशन बढ़ती है सोलर पैनल की क्षमता भी बढ़ते जाती है।
Question: किस देश में सोलर रेडिएशन सबसे जयादा होता है ?
Answer: चिली (Chile) में सोलर रेडिएशन सबसे जयादा होता है।
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