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Battery Management System: इलेक्ट्रिक वाहनों में ऑक्सिलरी सिस्टम और AC मोटर को चलने के लिए लिथियम आयन बैटरी का प्रयोग किया जाता है। इलेक्ट्रिक वाहनों में लिथियम आयन बैटरी का प्रयोग उनके उच्च क्षमता, लो सेल्फ डिस्चार्ज रेट (Low self discharge rate), विस्तृत ऑपरेटिंग रेंज, मैक्सिमम एनर्जी डेंसिटी (maximum energy density) और हाई लाइफ साइकिल (high life cycle) के कारण किया जाता है।
इलेक्ट्रिक वाहनों में लिथियम आयन बैटरी की गुणवत्ता और सुरक्षित संचालन में सुधार के लिए बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम को लगाया जाता है। आज हम यहाँ इसी विषय पर बात करने वाले हैं की बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (Battery Management System) का क्या काम है, यह काम कैसे करता है और इलेक्ट्रिक वाहनों में बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (Battery Management System) की आवश्यकता क्यों होती है ?
इलेक्ट्रिक वाहनों में बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (Battery Management System) क्यों आवश्यक है ?

इलेक्ट्रिक वाहन में लगी लिथियम आयन बैटरी की खराबी को रोकने और किसी भी प्रकार के दुर्घटना को कम करने के लिए बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (Battery Management System) का प्रयोग किया जाता है। बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (Battery Management System) का प्रमुख कार्य यह सुनिश्चित करना है की बैटरी ठीक ढंग से काम कर रही है या नहीं या फिर उसमे कोई खराबी तो नहीं है।
बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (Battery Management System) बैटरी सेल्स की क्षमता और उसके लाइफ साइकिल को बढ़ाने का भी काम करती है। बैटरी की क्षमता और इसका लाइफ साइकिल बढ़ाने के लिए बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम बैटरी सेल्स की वोल्टेज और बैटरी के तापमान की भी समीक्षा करती है। यह बैटरी में होने वाली करंट के प्रवाह को भी नियंत्रित करती है।
इलेक्ट्रिक वाहन के ऑपरेशन के दौरान बैटरी के परफॉरमेंस और उसकी लाइफ को बढ़ाने के लिए यह बैटरी के अंदर होने वाली प्रतिक्रियाओं की भी समीक्षा करती है जिसके अंतर्गत स्टेट ऑफ़ हेल्थ (state of health-SOH), स्टेट ऑफ़ चार्ज (state-of-charge-SOC), स्टेट ऑफ़ फंक्शन (state-of-function-SOF), चार्ज एक्सेप्टेन्स (charge acceptance-CA) इत्यादि शामिल हैं।
स्टेट ऑफ़ हेल्थ (State of Health-SOH)
जैसे जैसे बैटरी के प्रयोग की अवधी बढ़ती है वैसे वैसे बैटरी का इंटरनल रेजिस्टेंस बढ़ने लगता है इसके साथ हीं बैटरी की क्षमता भी कम होने लगती है, जिसके कारण बैटरी सेल्ल में कुछ परिवर्तन होने लगते है जिसके कारण बैटरी का इलेक्ट्रिक वाहन में प्रयोग किया जाना खतरनाक साबित हो सकता है।
यही कारण है की राज्य के स्टेट ऑफ़ हेल्थ (state of health-SOH) पैरामीटर का उपयोग करके बैटरी सेल में आने वाली खराबी को ट्रैक करना आवश्यक हो जाता है।
स्टेट ऑफ़ चार्ज (State of Charge-SOC)
जितने भी पेट्रोल या डीजल से चलने वाले वाहन होते हैं उन सभी वाहनों में फ्यूल इंडिकेटर होता है, ठीक उसी प्रकार बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (Battery Management System) के तहत सभी इलेक्ट्रिक वाहन में भी बैटरी स्टेट ऑफ़ चार्ज (state-of-charge-SOC) इंडिकेटर होता है जो की बैटरी में चार्ज की वास्तविक स्थिति को दर्शाता है।
स्टेट ऑफ़ फंक्शन (State-of-Function-SOF)
बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (Battery Management System) के तहत स्टेट ऑफ़ फंक्शन (State-of-Function-SOF) यह बताता है की बैटरी, ऑपरेशन के दौरान अपनी पूर्ण क्षमता के अनुरूप काम कर रही है या नहीं।
चार्ज एक्सेप्टेन्स (Charge Acceptance-CA)
बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (Battery Management System) की चार्ज एक्सेप्टेन्स (Charge Acceptance-CA) फीचर्स यह दर्शाता है की चार्जिंग के दौरान बैटरी के वर्तमान परिस्थिति अर्थात स्टेट ऑफ़ हेल्थ (state of health-SOH), स्टेट ऑफ़ चार्ज (state-of-charge-SOC) और तापमान के अंतर्गत मैक्सिमम चार्जिंग करंट कितना एक्सेप्ट कर सकती है।
बैटरी सेल बैलेंसिंग (Battery Cell Balancing)
बैटरी के लगातार चार्ज और डिस्चार्ज होने की प्रक्रिया के कारण बैटरी सेल्स के बीच असंतुलन बढ़ जाता है जिसे सुधारना बहुत हीं जरूरी हो जाता है अन्यथा बैटरी सेल्स कमजोर हो जायगीं जिसके परिणामस्वरूप बैटरी की लाइफ कम हो जाती है। यही कारण है की किसी भी बैटरी का लाइफ साइकिल बढ़ने के लिए बैटरी सेल्स का संतुलन बहुत हीं आवश्यक हो जाता है।

बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम के क्या फायदे हैं (Advantages of Battery Management System)
- बैटरी मैनेजमेंट यह सुनिश्चित करता है की वहां में लगी बैटरी अच्छे से काम कर रही है या नहीं।
- बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम बैटरी की हेल्थ को लगातार मॉनिटर करती रहती है जिससे बैटरी में आग लगने की सम्भावना कम हो जाती है।
- वहां में लगी बैटरी की लाइफ बढ़ जाती है।
- बैटरी के चार्जिंग की स्थिति डिस्प्ले हो जाती है।

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