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ऑर्गेनिक सोलर सेल (Organic Solar Cell)
ऑर्गेनिक सोलर सेल (Organic Solar Cell) जिसे प्लास्टिक सोलर सेल भी कहते हैं एक प्रकार का सामान्य फोटो वोल्टाइक सेल होता अर्थात ऑर्गेनिक सोलर सेल (Organic Solar Cell) भी सूरज की किरणों को अवशोषित करके उससे बिजली उत्पन्न करती है, फर्क सिर्फ इतना है की इसमें प्रकाश को अवशोषित करने वाली परत के रूप में सिलिकॉन की जगह ऑर्गेनिक पॉलीमर का प्रयोग किया गया है।
सिलिकॉन फोटो वोल्टाइक और ऑर्गेनिक फोटो वोल्टाइक में सबसे बड़ा अंतर इनकी भौतिक संरचना है। ऑर्गेनिक सेल जिस कंपाउंड से बने होते हैं वे आमतौर पर स्याही में घुल जाते हैं और उन्हें पतली प्लास्टिक पे भी प्रिंट किया जा सकता है। इसका तात्पर्य यह है की ऑर्गेनिक सोलर सेल (Organic Solar Cell) काफी लचीले होते हैं और इनका प्रयोग काफी जगहों में किया जा सकता है, जैसे की पारदर्शी सोलर पैनल अर्थात हम घर की खिड़किओं में इसका प्रयोग कर सकते हैं।

ऑर्गेनिक फोटो वोल्टाइक एक तेजी से उभरती हुई फोटो वोल्टाइक टेक्नोलॉजी है जिसमे सोलर सेल की क्षमता वर्तमान में 18.2 % है और इसका जीवन काल लगभग 10 साल होता है। हलाकि इसकी क्षमता और इसका जीवन काल बढ़ाने के लिए अभी इस्पे शोध का काम चल रहा है।
ऑर्गेनिक सोलर सेल को बनाने में जो लागत लगती है वह सिलिकॉन सोलर सेल की तुलना में काफी सस्ती है, साथ हीं यह सिलिकॉन की तुलना में पर्यावरण को काम प्रदूषित करता है।
ऑर्गेनिक सोलर सेल (Organic Solar Cell) काम कैसे करता है ?

ऑर्गेनिक सोलर सेल (Organic Solar Cell), मोनोक्रिस्टलीन और पोलीक्रिस्टलीन सिलिकॉन सोलर सेल की तरह हीं सूरज की किरणों को फोटो वोल्टाइक प्रभाव से बिजली उत्पन्न करती है। सोलर सेल सामान्यतः दो चरणों में सूरज के प्रकाश का प्रयोग करके बिजली उत्पन्न करती है।
- सोलर सेल सूरज के किरणों को अवशोषित करके सेमी कंडक्टर में मौजूद इलेक्ट्रान को लूज़ कर देता है।
- लूज़ इलेक्ट्रान के घूमने से बिजली उत्पन्न होती है।
ऑर्गेनिक सोलर सेल में भी फोटो वोल्टाइक की प्रक्रिया सामान होती है, लेकिन इसमें सेमि कंडक्टर के रूप में सिलिकॉन की जगह ऑर्गेनिक कंपाउंड का प्रयोग किया जाता है।
ऑर्गेनिक सोलर सेल (Organic Solar Cell) में दो सेमि कंडक्टर परत होती हैं जो की प्लास्टिक पॉलीमर और फ्लेक्सिबल मटेरियल की बानी होती है। यह सूरज के प्रकाश को अवशोषित करके बिजली उत्पन्न करती है।
सोलर सेल जब प्रकाश को अवशोषित करती है, उसके उपरांत फोटोन एक पॉलीमर एटम में एक इलेक्ट्रान को बहार निकलता है जिससे एक खली जगह या होल बन जाती है। इलेक्ट्रान और यह खली जगह तुरंत एक बोंडेड पेअर बनाते हैं जिसे एक्ससिटोन कहते हैं।
एक्ससिटोन विभाजित विभाजित हो जाता हैं, जिससे इलेक्ट्रान स्वतंत्र रूप से दूसरे अवशोषित फोटोन द्वारा बनाये गे होल में स्थानांतरतीत हो जाता है। होल से होल तक इलेक्ट्रान के निरंतर घूमने से बिजली उत्पन्न होती है।
ऑर्गेनिक सोलर सेल (Organic Solar Cell) और सिलिकॉन सोलर में क्या अंतर हैं ?
अगर हम संरचना की बात करे तो ऑर्गेनिक सोलर सेल (Organic Solar Cell) और सिलिकॉन सोलर सेल (Silicon Solar Cell) की संरचना लगभग एक सामान होती है। दोनों में अंतर केवल इतना हीं हैं की ऑर्गेनिक सोलर सेल में कार्बन कंपाउंड (Organic Molecule), प्लास्टिक शीट के ऊपर पतली परत के रूप में प्रिंट की हुई होती है, जबकि सिलिकॉन सोलर सेल में सिलिकॉन की परत होती है।
ऑर्गेनिक सोलर सेल (Organic Solar Cell) और सिलिकॉन क्रिस्टल सेल की तुलना हम यहाँ तीन मुख्य कारकों पर कर सकते है क्षमता, मटेरियल और कीमत
क्षमता
किसी भी सोलर सेल की क्षमता इस बात पर निर्भर करती हैं की जब सूरज की किरणे सोलर सेल से टकराती हैं तो उस टकराने वाली किरणों का कितना प्रतिशत बिजली में परिवर्तित होता है। डिपार्टमेंट ऑफ़ एनर्जी के अनुसार ऑर्गेनिक सोलर सेल ने लगभग 11 % की क्षमता का प्रदर्शन किया हैं, हलाकि कुछ प्रयोगो में इसकी क्षमता 18.2 % भी पाई गई है। और लगातार इसपर अभी शोध किया जा रहा हैं जिससे इसकी क्षमता और बढ़ने की उम्मीद है।
वहीँ अगर हम क्रिस्टलीन सोलर सेल्ल की बात करे तो मोनोक्रिस्टलीन सोलर पैनल की क्षमता 22 % से अधिक मापी गई है। यही कारण हैं की अगर अकेले क्षमता के आधार पर तुलना की जाय तो ऑर्गेनिक सोलर सेल पे अभी और भी शोध करने की जरूरत है।
मटेरियल
जैसा की हमने ऊपर चर्चा किया हैं, सिलिकॉन क्रिस्टल सोलर सेल और ऑर्गेनिक सोलर सेल के बिच मुख्या अंतर सेमि कंडक्टर मटेरियल का है। सिलिकॉन सोलर में क्रिस्टलीन सिलिकॉन का प्रयोग किया जाता हैं, जबकि ऑर्गेनिक सोलर सेल में कार्बन कंपाउंड (Organic Molecule), प्लास्टिक शीट के ऊपर पतली परत के रूप में प्रिंट की हुई होती है। यही कारण हैं की वे आमतौर पर फ्लेक्सिबल और पारदर्शी सोलर सेल के रूप में होते हैं।

पारदर्शी होने के कारण इसका प्रयोग बिल्डिंग्स, अप्पार्टमेन्ट और ऑफिस जिसके निर्माण से आंशिक रूप से पारदर्शी सोलर पैनल का प्रयोग किया जाता हैं, वैसे जगहों पे बजाये ग्लास के पारदर्शी सोलर पैनल लगवाया जा सकता है। यह बिल्डिंग की खूबसूरती के साथ साथ बिजली भी उत्पन्न करेगी।
कीमत
चुकी ऑर्गेनिक सोलर सेल अभी व्यवसाइक रूप से उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए सिलिकॉन सोलर सेल तुलना करना थोड़ा मुश्किल है। पर ऐसा माना जा रहा हैं की इसे बनाने में सिलिकॉन क्रिस्टल सेल की तुलना में काम लगत लगती है। हलाकि पिछले एक दशक में नई टेक्नोलॉजी के आने से इसकी कीमत में गिरावट आई है।
FAQs:
Question: ऑर्गेनिक सोलर सेल (Organic Solar Cell) और क्रिस्टलीन सोलर सेल में क्या अंतर हैं ?
Answer: ऑर्गेनिक सोलर सेल (Organic Solar Cell) और सिलिकॉन सोलर सेल की संरचना लगभग एक सामान होती है। दोनों में अंतर केवल इतना हीं हैं की ऑर्गेनिक सोलर सेल में कार्बन कंपाउंड (Organic Molecule), प्लास्टिक शीट के ऊपर पतली परत के रूप में प्रिंट की हुई होती है, जबकि सिलिकॉन सोलर सेल में सिलिकॉन की परत होती है।
Question: ऑर्गेनिक सोलर सेल का जीवन काल कितना होता हैं ?
Answer: ऑर्गेनिक सोलर सेल का जीवन काल लगभग 10 साल होता है। हलाकि इसकी क्षमता और इसका जीवन काल बढ़ाने के लिए अभी इस्पे शोध का काम चल रहा है।
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